सात हजार एकड़ में होगा नैनो यूरिया का छिड़काव, किसानों को देने होंगे मात्र 100 रुपये
कृषि विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश में एक लाख भूमि पर नैनो यूरिया छिड़काव का लक्ष्य रखा गया है. स्कीम के तहत बाजार में 220 रुपये कीमत पर मिलने वाला नैनो यूरिया किसानों को 100 रुपये में मिलेगा.
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खेती में कैमिकल फर्टिलाइजर के प्रयोग को कम करने के लिए हरियाणा सरकार किसानों के खेत में नैनो यूरिया का स्प्रे करवाएगी. इससे पर्यावरण को सुरक्षा होगी और खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी, वहीं किसानों की आर्थिक रूप से बचत भी होगी. इसके लिए किसानों को एक एकड़ में यूरिया स्प्रे के लिए सिर्फ 100 रुपये देने होंगे. दरअसल करनाल जिले में 7000 हजार एकड़ खेतों में स्प्रे करने का लक्ष्य रखा गया है. प्रदेश सरकार किसानों को आधी से कम कीमत पर नैनो यूरिया खाद देगी, जिसका स्प्रे भी ड्रोन से होगा. रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने ये योजना शुरू की है.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक डा. मंजीत नैन ने बताया कि पहली बार एक लाख एकड़ फसल पर नैनो यूरिया के छिड़काव किया जा रहा है। सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। अगले दो से तीन दिन में इसकी एक मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) बनाकर सभी जिलों में भेज दी जाएगी। उन्होंने बताया कि जिस जिले में ड्रोन की उपलब्धता होगी, वहां ड्रोन से इसका छिड़काव किया जाएगा। जहां ड्रोन नहीं होगा, वहां ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रे का इस्तेमाल किया जाएगा।
जहां ड्रोन उपलब्ध नहीं होगा वहां दूसरे संसाधनों का इस्तेमाल
दरअसल अभी तक सिर्फ 22 ही किसान ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग ले पाए हैं। विभाग ने 500 किसानों को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा है। इसलिए जहां ड्रोन उपलब्ध नहीं होगा, वहां फिलहाल दूसरे संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा। ड्रोन एक दिन में दस एकड़ फसल का छिड़काव कर सकेगा। ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का छिड़काव फसलों पर अधिक प्रभावी है और इससे उत्पादकता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
100 रुपये में मिलेगा नैनो यूरिया
कृषि विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश में एक लाख भूमि पर नैनो यूरिया छिड़काव का लक्ष्य रखा गया है. स्कीम के तहत बाजार में 220 रुपये कीमत पर मिलने वाला नैनो यूरिया किसानों को 100 रुपये में मिलेगा. इतना ही नहीं किसान के खेत में ड्रोन और अन्य माध्यम से छिड़काव का प्रबंध सरकार करेगी.कृषि विभाग के निर्देश ने सभी जिला उपनिदेशकों को अपने-अपने जिले में नैनो यूरिया छिड़काव के लिए टारगेट दिए हैं, ताकि खेती-बाड़ी में दानेदार खाद का इस्तेमाल कम किया जा सके.
उर्वरक उपजाऊ शक्ति को करता है कम
रासायनिक उर्वरकों के ज्यादा प्रयोग से मिट्टी की उर्वरकता में गिरावट आती है फसल और सब्जियों में इसका प्रभाव आता है. नाइट्रोजन युक्त उर्वरक मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को कम करते हैं. ये फास्फेट और पोटेशियम पोषक तत्वों के संतुलन को बिगाड़ देते हैं. कृषि विभाग के उपनिदेशक वजीर सिंह ने बताया कि नैनो यूरिया का इस्तेमाल किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है. एक एकड़ में यूरिया खाद स्प्रे करने में 625 रुपये खर्च होता है.
कृषि विभाग के मुताबिक गेहूं और सरसों पर जब किसान यूरिया डालते हैं तो काफी हिस्सा गैस बनकर हवा में उड़ जाता है, जबकि पानी का अधिक इस्तेमाल होने पर वह फसलों के जड़ में चला जाता है। इससे पौधों को फायदा नहीं मिलता। वहीं, फसलों पर अत्यधिक इस्तेमाल से इसका स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
नैनो यूरिया छिड़काव से 90 फीसदी फायदा
जबकि दानेदार यूरिया पर किसान को प्रति एकड़ करीब 3000 रुपये खर्च होते हैं. सरकार किसान से सिर्फ 100 रुपये लेगी जिससे किसान को आर्थिक रूप से फायदा होगा. वहीं दानेदार यूरिया खेत में डालने से सिर्फ 25 फीसदी फायदा फसल को मिलता जबकि नैनो यूरिया छिड़काव से फसल को 90 प्रतिशत फायदा मिलता है.
नैनो यूरिया का असर कितने दिन तक रहता है?
नैनो यूरिया का उपयोग कब करे?
नैनो यूरिया का पर्णीय छिड़काव 2 बार करने की सलाह दी जाती है। पहला छिड़काव टहनियों/शाखाओं के बनने की सक्रिय अवस्था में (अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद) और दूसरा 20-25 दिनों के अंतराल पर पहले छिड़काव के बाद या फसल में फूल आने से पहले होना चाहिए।
सरकार को क्या फायदा होगा??
सब्सिडी की बचत होगी
दरअसल रासायनिक उर्वरकों पर सरकार भारी सब्सिडी देती है। किसानों को यूरिया की 45 किलो की बोरी 266 रुपये में मिलती है। एक बोरी पर सरकार की ओर से 1500 रुपये से लेकर दो हजार रुपये की सब्सिडी दी जाती है। इस वजह से किसानों को सस्ती यूरिया मिलती है। वहीं, नैनो यूरिया की एक बोतल 220 रुपये में आती है। इसमें सरकार कोई सब्सिडी नहीं देती। लागत के हिसाब से किसानों को ज्यादा फायदा नहीं है, मगर नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसानों का समय बचता है और रासायनिक उर्वरक का अत्याधिक इस्तेमाल से बचाव होता है।