भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार बताते हैं, “चना की खेती की सबसे खास बात होती है, इसमें ज्यादा सिंचाई की भी जरूरत नहीं होती है। दलहनी कुल का होने से ये फसल खेत की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करती है और मिट्टह को उपजाऊ बना देती है। अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की ही बुवाई करें।” विश्व के कुल चना उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। देश में कुल उगायी जाने वाली दलहन फसलों का उत्पादन लगभग 17.00 मिलियन टन प्रति वर्ष होता है। चने का उत्पादन कुल दलहन फसलों के उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत होता है।
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इस समय करे चने की बुवाई
चना की खेती, धान की फसल काटने के बाद भी की जाती है, ऐसी स्थिति में बुआई दिसंबर के मध्य तक अवष्यक कर लेनी चाहिए। बुआई में अधिक विलम्ब करने पर पैदावार कम हो जाती है। तथा फसल में चना फली भेदक का प्रकोप भी अधिक होने की सम्भावना बनी रहती है। अतः अक्टूबर का प्रथम सप्ताह चना की बुआई के लिए सर्वोत्तम होता है।
चना रबी ऋतु की महत्वपूर्ण दलहनी फसल होती है। लेकिन बुवाई से पहले कुछ बातों का ध्यान रखकर अच्छी उपज पा सकते हैं।
जिन खेतों में विल्ट का प्रकोप अधिक होता हैं वहां गहरी व देरी से बुवाई करना लाभप्रद रहता हैं।
धान/ज्वार उगाए जाने वाले क्षेत्रों में दिसम्बर तक चने की बुवाई कर सकते हैं।
भूमि का चयन
चने की खेती के लिए जल निकास वाली उपजाऊ भूमि का चयन करना चाहिए। इसकी खेती हल्की व भारी दोनों प्रकार की भूमि में की जा सकती हैं। मध्यम व भारी मिट्टी के खेतों में गर्मी में एक-दो जुताई करें। मानसून के अंत में व बुवाई से पहले अधिक गहरी जुताई न करें।
कोनसी कीस्म लगाये
अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की ही बुवाई करें।”
उर्वरकों का प्रयोग
उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी की जांच के हिसाब से ही उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। असिंचित क्षेत्रों में 10 किलो नाइट्रोजन और 25 किलो फास्फोरस और सिंचित क्षेत्र में बुवाई से पहले 20 किलो नाइट्रोजन और 40 फास्फोरस प्रति हेक्टेयर 12-15 सेमी की गहराई पर आखिरी जुताई के समय डालना चाहिए।
बीजोपचार
रासायनिक बीजोपचार
जड़ गलन व उकटा रोग की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 0.75 ग्राम और थाइरम एक ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित करें। जहां पर दीमक का प्रकोप हो वहां 100 किलो बीज में 800 मि.ली. लीटर क्लोरोपायरिफोस 20 ई.सी. मिलाकर बीज को उपचारित करें।
जैविक बिजोपचार
बीजों का राइजोबिया कल्चर और पीएसबी कल्चर से उपचार करने के बाद ही बोयें। एक हेक्टेयर क्षेत्र के बीजों को उपचारित करने के लिए तीन पैकेट कल्चर पर्याप्त होता है। बीज उपचार करने के लिए आवश्यकतानुसार पानी गर्म करके गुड़ घोले। इस गुड़ पानी के घोल को ठंडा करने के बाद कल्चर को इसमें अच्छी तरह मिलाएं। इसके बाद कल्चर मिले घोल से बीजों को उपचारित करें और छाया में सुखाने के बाद जल्दी ही बुवाई करें। सबसे पहले कवकनाशी, फिर कीटनाशी और इसके बाद राइजोबिया कल्चर से बीजोपचार करें।
भूमि उपचार व दीमक के प्रकोप से बचाव के लिए
क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत या मैलाथियान 4 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से आखिरी जुताई के समय खेत में मिलाएं। प्रति हेक्टेयर 70-80 किलो बीज बोए।
कैसे करें बुवाई
कतार से कतार की दुरी 30-45 सेमी. रखें। सिंचित क्षेत्र में 5-7 सेंटीमीटर गहरी व बारानी क्षेत्र में नमी को देखते हुए 7-10 सेंटीमीटर तक बुवाई कर सकते हैं। जिन खेतों में विल्ट का प्रकोप अधिक होता हैं वहां गहरी व देरी से बुवाई करना लाभप्रद रहता हैं।
सिंचाई प्रबंधन
- पहली सिंचाई आवश्यकता अनुसार बुवाई के 45-60 दिन बाद फूल आने से पहले
- दूसरी फलियों में दाना बनते समय की जानी चाहिए।
यदि जाड़े की वर्षा हो जाये तो दूसरी सिंचाई न करें।
फूल आते समय सिंचाई न करें अन्यथा लाभ के बजाय हानि हो जाती हैं।
स्प्रिंकलर से सिंचाई करने पर समय व पानी की बचत हो जाती हैं। साथ ही, फसल पर कुप्रभाव नहीं पड़ता हैं।
निराई-गुड़ाई
प्रथम निराई-गुड़ाई के 25-35 दिन पर तथा आवश्यकता पड़ने पर दूसरी निराई-गुड़ाई करना. मुश्किल हो वहां पर सिंचित फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए पलेवा के बाद आधा किलो फ्लूक्लोरीलीन प्रति हेक्टेयर की दर से 750 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर भूमि में मिलाये.
किट एवं रोगों से बचने के लिये छिडकांव करें
बुवाई के 30-40 दिन बाद फूल आने से पहले
Emamectin Benzoate 5% – 1-1.5 ग्रॅम प्रति लिटर पाणी
Carbendizm+Mancozeb- 2-3 ग्रॅम प्रति लिटर पाणी
Grade 2 micronutrient- 2-3 मिली प्रति लिटर
19:19:19 – 3-5 gm प्रति लिटर
बुवाई के 45-60 दिन बाद फूल की अवस्था में
Chloro+Cyper- 0.5-1 ml प्रति लिटर
Metalaxyl 35%- 1-2 ग्रॅम प्रति लिटर
13:40:13 – 3-5 ग्रॅम प्रति लिटर
बुवाई के 70-80 दिन बाद दाणा भरणे की अवस्था में
Coragen / Fame / Delegate- 0.25 ग्रॅम प्रति लिटर
Carbendizm+Mancozeb- 2-3 ग्रॅम प्रति लिटर पाणी
0:52:34 – 3-5 ग्रॅम प्रति लिटर
लेख संकलित है!!
संकलन – हर्षल राजपूत
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