चना की खेती, धान की फसल काटने के बाद भी की जाती है, ऐसी स्थिति में बुआई दिसंबर के मध्य तक अवष्यक कर लेनी चाहिए। बुआई में अधिक विलम्ब करने पर पैदावार कम हो जाती है। तथा फसल में चना फली भेदक का प्रकोप भी अधिक होने की सम्भावना बनी रहती है। अतः अक्टूबर का प्रथम सप्ताह चना की बुआई के लिए सर्वोत्तम होता है।
चना रबी ऋतु की महत्वपूर्ण दलहनी फसल होती है। लेकिन बुवाई से पहले कुछ बातों का ध्यान रखकर अच्छी उपज पा सकते हैं।
जिन खेतों में विल्ट का प्रकोप अधिक होता हैं वहां गहरी व देरी से बुवाई करना लाभप्रद रहता हैं।
धान/ज्वार उगाए जाने वाले क्षेत्रों में दिसम्बर तक चने की बुवाई कर सकते हैं।
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार बताते हैं, “चने की खेती की सबसे खास बात होती है, इसमें ज्यादा सिंचाई की भी जरूरत नहीं होती है। दलहनी कुल का होने से ये फसल खेत की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करती है और मिट्टह को उपजाऊ बना देती है। अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की ही बुवाई करें।” विश्व के कुल चना उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। देश में कुल उगायी जाने वाली दलहन फसलों का उत्पादन लगभग 17.00 मिलियन टन प्रति वर्ष होता है। चने का उत्पादन कुल दलहन फसलों के उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत होता है।
चना खेती में किट एवं रोगों से बचने के लिये निम्न लिखित दवाईयों का छिडकांव करें
बुवाई के 30-40 दिन बाद फूल आने से पहले
- Emamectin Benzoate 5% – 1-1.5 ग्रॅम प्रति लिटर पाणी
- Carbendizm+Mancozeb- 2-3 ग्रॅम प्रति लिटर पाणी
- Grade 2 micronutrient- 2-3 मिली प्रति लिटर
- 19:19:19 – 3-5 gm प्रति लिटर
बुवाई के 45-60 दिन बाद फूल की अवस्था में
- Chloro+Cyper- 0.5-1 ml प्रति लिटर
- Metalaxyl 35%- 1-2 ग्रॅम प्रति लिटर
- 13:40:13 – 3-5 ग्रॅम प्रति लिटर
बुवाई के 70-80 दिन बाद दाणा भरणे की अवस्था में
- Coragen / Fame / Delegate- 0.25 ग्रॅम प्रति लिटर
- Carbendizm+Mancozeb- 2-3 ग्रॅम प्रति लिटर पाणी
- 0:52:34 – 3-5 ग्रॅम प्रति लिटर
चना खेती इल्ली या फफुंद से बचाव एवं रोकधाम हेतु ऊपर दिये गये सभी दवाइयों का इस्तेमाल करे ( दवाइयों के कंटेंट दिये गये है ) , अच्छे परिणाम मिलेंगे आपकी फसल रोगमुक्त रहेगी और आप बढिया उत्पादन पा सकेंगे.
धन्यवाद
संकलन
हर्षल राजपूत, शिरपूर https://khetikisaani.com/